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यूपीएससी में 117वीं रैंक हासिल कर गांव पहुँचे, आईएस आकाश शर्मा

परिवार व गांव वालों ने आकाश शर्मा को फूल माला पहनाकर किया स्वागत

पिता ने  बेटे को फेरी लगाकर पढ़ाया, अब बेटा बनेगा आईएएस अफसर।

 

विकास सिँह पीलीभीत।

पूरनपुर, पीलीभीत।

एक छोटे से गांव से निकलकर देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में सफलता प्राप्त कर आकाश शर्मा ने न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है। हाल ही में घोषित यूपीएससी परिणाम में आकाश ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 117वीं रैंक हासिल की। गांव पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया।जैसे ही आकाश शर्मा के गांव पहुंचने की खबर फैली, लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। गांववासियों ने उन्हें फूल-मालाएं पहनाकर, ढोल-नगाड़ों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया। इस दौरान परिवारजनों की आंखें गर्व और खुशी से नम थीं। हर कोई इस होनहार युवा को एक झलक देखने और बधाई देने उमड़ पड़ा।पूरनपुर तहसील के छोटे से गांव हमीरपुर से निकली एक उम्मीद की किरण ने पूरे जिले को गर्व से भर दिया है। एक साधारण परिवार के आकाश शर्मा ने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में एक यूपीएससी पास कर मिसाल कायम कर दी है। न कोचिंग, न महंगे स्कूल, सिर्फ आत्मविश्वास और पिता की मेहनत ने आकाश को उस ऊंचाई पर पहुंचाया, जहां तक पहुंचना बहुतों का सपना होता है। आकाश ने यूपीएससी की परीक्षा में 117वीं रैंक हासिल की है।आकाश के पिता देव नारायण शर्मा, सालों से गांव-गांव जाकर कपड़े की फेरी लगाते हैं। दिनभर की तपिश, पैरों की थकान और पेट की भूख को अनदेखा कर उन्होंने सिर्फ एक सपना देखा अपने बेटे को पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाना। आज वह सपना हकीकत बन गया है। जब गांव में मंगलवार को बेटे के सफल होने की खबर आई, तो देव नारायण की आंखों से आंसू रुक नहीं पाए। बता दें कि आकाश की पढ़ाई की शुरुआत गांव के प्राथमिक विद्यालय से हुई। उच्च प्राथमिक शिक्षा पास के गांव अकेला हंसपुर में पूरी की। फिर पब्लिक इंटर कॉलेज पूरनपुर से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बरेली से स्नातक की डिग्री ली। वहीं रहकर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहले प्रयास में असफलता मिली, लेकिन आकाश ने हार नहीं मानी। दूसरे प्रयास में उन्होंने सफलता की वह ऊंचाई छूली, जिसे पाने के लिए लाखों युवा प्रयास करते हैं। अब हर कोई आकाश के घर आने का इंतजार कर रहा है, ताकि उस बेटे को गले लगा सके जिसने मिट्टी की महक को देश के सबसे बड़े मंच तक पहुंचाया।आकाश का कहना है कि इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता का त्याग, गुरुजनों का मार्गदर्शन और खुद की कठोर मेहनत है। वे रोज़ 10 से 12 घंटे तक पढ़ाई करते थे और कभी भी हार नहीं मानी। आकाश ने कहा, “गांव में सुविधाओं की कमी जरूर होती है, लेकिन अगर लगन और संकल्प मजबूत हो तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है।”

आकाश के पिता, जो किसान हैं, ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपने बेटे को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। मां ने कहा, “आज हमारा बेटा अफसर बना है, इससे बड़ी खुशी हमारे लिए कुछ नहीं हो सकती।”आकाश की सफलता उन सभी ग्रामीण युवाओं के लिए एक मिसाल है जो सिविल सेवा जैसी परीक्षाओं को लेकर हिचकिचाते हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए बड़े लक्ष्य तय करें और पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत करें।पूरनपुर समेत पूरे पीलीभीत जिले में आकाश शर्मा की यह सफलता चर्चा का विषय बन गई है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि आकाश जैसे और भी युवा इस प्रेरणा से आगे बढ़ेंगे और क्षेत्र का नाम रोशन करेंगे।

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