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जिम्मेदारों की लापरवाही से शराब कैंटीनों पर ओवररेंटिंग और स्वास्थ्य से खिलवाड़, 5 रुपए का बिक रहा 25 पैसे का गिलास, सुविधाओं के नाम पर धोखा

  1. खाद्य विभाग टीम की लापरवाही से शराब कैंटिनों पर ओवररेंटिंग और स्वास्थ्य से खिलवाड़, सुविधाओं के नाम पर धोखा
शराब की कैंटीनों में 5 रुपए का बिक रहा 25 पैसे का गिलास, सड़ेगले फल से पहले बीमारी

पीलीभीत। शराब की कैंटीनों पर मदिरा पान के शौकीनों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। यहां ऑवरेटिंग के साथ स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। मुंह खोलने पर कैंटीन संचालक और उनके गुर्गे हाथापाई पर आमदा हो जाते हैं। बदनामी के डर से लोग शिकायत करने से भी कतराते हैं। खाद्य विभाग सहित अन्य जिम्मेदार जानबूझकर अनजान बने हुए हैं। एक जागरुक व्यक्ति ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर की है। आबकारी नीति के अनुसार प्रत्येक देशी व विदेशी शराब की दुकान के पास शराब पिलाने हेतु कैन्टीन का संचालन किया जाता है। जहाँ फ्री में शुद्ध पानी व हवा एवं बैठने की समुचित व्यवस्था के साथ साथ पार्किंग की भी व्यवस्था की जानी आवश्यक है। इसके आधार पर उनको खाद्य विभाग द्वारा नियमानुसार लाईसेंस भी निर्गत किया जाता है। परन्तु पीलीभीत जिले में कैंटीन की आड़ में जमकर उगाई की जा रही है। अधिकांश शराब व्यवसायी कैन्टीन को यहाॅ 1000 से लेकर 3000 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से कैन्टीन संचालन से वसूलते हैं लेकिन उसके विपरीत न तो वहाँ पर बैठने की समुचित व्यवस्था है, न ही शुद्ध पानी व हवा की और न ही पार्किंग की व्यवस्था है। उल्टा इसके 10 रू0 के वाटर कूलर को मंगाकर उसमें से पूरे दिन 5, 10, 15, रू0 का पानी खुले में विक्रय किया जाता है। पानी नल की कोई व्यवस्था नही है और यदि है भी तो वह केवल कैन्टीन संचालक के लिए जो वाटर कूलर में पानी भरकर पुनः आम जनता को बेंच सके। 10 रू0 की पानी और जीरे की बोतल 15 रू0 में तथा 25 पैसे का गिलास 5 रू० में खुलेआम बेचा जाता है। जिसको लेने के लिए जनता मजबूर है। क्योंकि शुद्ध फ्री पानी हेतु नल की व्यवस्था नही है।

अधोमानक के कटे, गले सड़े फलों को खुले में धूल धक्कड़ के बीच बेंचा जाता है। जिससे डी हाईड्रेशन की समस्या बनी रहती है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि व्यक्ति शराब पीने के बाद मौके पर बेहोश भी हो जाता है। खाद्य विभाग द्वारा कभी भी कैन्टीनों का निरीक्षण नहीं किया जाता है। मात्र आबकारी विभाग द्वारा कभी कभार किया जाता है तो कैन्टीन संचालक को पूर्व में ही बता दिया जाता है। जिससे कि वह व्यवस्था सही कर सके। जबकि आबकारी विभाग का काम है। शराब की व्यवस्था को चैक करना न ही कि खाद्य को जो कि खाद्य विभाग की जिम्मेदारी है क्योंकि लाईसेस वह ही निर्गत करते हैं।
शौचालय की कोई व्यवस्था नही है और कहीं कहीं यदि है भी तो वह केवल कैन्टीन संचालक और सेल्समैन के लिए आम जनता के लिए नहीं।पीलीभीत कलेक्ट कंपाउंड वीरेंद्र पांडेय ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र मे समस्या का यथाशीघ्र निस्तारण कराने एवं मौके पर जो भी दोषी पाया जाये उसके विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करते हुये उसका लाईसेंस निरस्त करने हेतु आदेश निर्गत करने की कृपा करें। महान कृपा होगी। प्रत्येक कैन्टीन पर महीने में कम से कम दो बार खाद्य विभाग की टीम द्वारा औचक निरीक्षण किया जाना परम आवश्यक है।
रिपोर्ट- शैलेंद्र शर्मा व्यस्त

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