उत्तर प्रदेश

धनाराघाट पर पक्का पुल तो छोडिये साहब इस बार पेंटून पुल के भी पड़ गये लाले

धनाराघाट का पेंटून पुल इस वर्ष चालू होने की उम्मीद दिख रही है कम

धनाराघाट पर पक्का पुल तो छोडिये साहब इस बार पेंटून पुल के भी पड़ गये लाले

धनाराघाट का पेंटून पुल इस वर्ष चालू होने की उम्मीद दिख रही है कम

हजारा,पीलीभीत।शारदा नदी पर पेंन्टून पुल से आवागमन अवधि 15अक्टूबर से 15 जून तक है।लेकिन हर वर्ष पुल जनवरी से पहले शुरू नहीं होता है।इस वर्ष भी पुल निर्माण का कार्य काफी समय से लटका हुआ है।इस पुल के न बनने से पीलीभीत जनपद के ट्रांस शारदा क्षेत्र के लगभग तीन दर्जन गांवों के ग्रामीणों को जरूरी काम से पूरनपुर और पीलीभीत मुख्यालय जाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही खीरी जिले और पड़ोसी देश नेपाल के नागरिकों को बरेली,दिल्ली आदि जाने के लिए सैकड़ों किमी की अधिक दूरी तय करनी पड़ती है।इस पुल के न बनने से लगभग ढाई लाख ट्रांस शारदा क्षेत्र के ग्रामीण प्रभावित हैं।खजुरिया से पूरनपुर और पीलीभीत जाने का एक मात्र सीधा रास्ता धनाराघाट है।परन्तु बीच में शारदा नदी है। नदी पर हर साल आवागमन हेतु पेंन्टूल पुल का निर्माण होता है जिसका शासन नियत समय 15अक्टूबर से 15जून है। परन्तु लोक विभाग कि लापरवाही से हर वर्ष पुल समय से चालू नहीं होता।इस क्षेत्र के ग्रामीणों को 15 जून से 15 जनवरी तक आवश्यक कार्य से तहसील मुख्यालय पूरनपुर और जिला मुख्यालय पीलीभीत जाने के लिए पलिया वाया खुटार होते हुए जाना पड़ता है जो 135 किमी अधिक दूरी है और धन तथा समय की बरबादी होती है। आठ माह इस क्षेत्र के लोगों को यह परेशानी उठानी पड़ती है।खीरी सहित पड़ोसी देश नेपाल के नागरिक काफी संख्या में इस रास्ते पूरनपुर,पीलीभीत, बरेली और दिल्ली आदि स्थानों के लिए जाते हैं।धनाराघाट पर पक्के पुल का निर्माण के लिए लगभग पांच दशक से आवाज उठाई जाती है।चुनाव के दौरान सत्ता दल व सरकारों द्वारा पुल निर्माण कराया जाने का खोखला वाद किया जाता है और लोगों को गुमराह करने हेतु सर्वे आदि कराने का स्वांग रचाया जाता है।लोक सभा चुनाव के दौरान भी पक्के पुल निर्माण के लिए सर्वे किया गया। सरकार द्वारा पुल निर्माण हेतु 94करोड़ कि धनराशि भी आवंटित कर दिये जाने की घोषणा कि गई। यहां तक कि चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पीलीभीत कि चुनावी सभा में इस पुल के निर्माण से हजारों लोगों कि परेशानिया दूर होने कि बात कहते हुए पुल निर्माण कराने कि घोषणा कि गई।परन्तु अब तक पक्के पुल के निर्माण कि दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।यहां तक कि पेंन्टून पुल भी अभी तक नहीं बन सका है।इस समय पुल कि स्थिति यह है कि मुख्य धार पर अभी पुल अधूरा है और वाहनों के आवाजाही हेतु रास्ते कि मरम्मत तक नहीं हो सकी है।छोटी धार पर पुल एक माह पहले बन कर तैयार हो गया था लेकिन मेन धार पर पुल अधूरा पड़ा है।बताया जाता है कि कुछ पेन्टून कम पड़ गये हैं जिससे निर्माण कार्य काफी समय से ठप पड़ा है। नदी के उथला होने से शारदा पार राहुल नगर और इस पार अशोकनगर, कबीरगंज, राणाप्रताप नगर आदि गांवों में कटान हो रहा है।विदित हो कि चुनाव पूर्व राहुलनगर के ग्रामीणों द्वारा काफी समय तक अनशन प्रदर्शन करने के बाद बचाव के नाम पर सरकार द्वारा राहुलनगर के पास तटबंध बनवाया गया था जो बरसात में काफी हद तक बह गया और भूटान पुनः शुरू है।यहां के वाशिंदे आज भी तटबंध के लिए आन्दोलन कर रहे हैं।नदी कि सफाई न कराने और भूटान को रोकने हेतु शासन स्तर पर कोई ठोस नीति न बनाये जाने से हजारों हेक्टेयर कृषिभूमि सहित दर्जनों गांवों का वजूद मिट चुका है।खेत व घर कट जाने से सम्पन्न परिवार भी आज नारकीय जिंदगी जीने पर मजबूर हैं।जिस कृषि भूमि को नदी ने छोड़ दिया था उसपर लोग पुनः खेती करना शुरू कर दिये थे वह भूमि पुनः नदी से कट रही है।फिलहाल पक्का पुल तो छोडिये इस बार पेंटून पर के भी लाले पड़ गये है।

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