क्राइम

आवास योजना में रिश्वत का खेल उजागर होने के बावजूद सचिव और प्राइवेट कर्मी को बचाने में जुटे अफसर 

आवास योजना में रिश्वत का खेल उजागर होने के बावजूद सचिव और प्राइवेट कर्मी को बचाने में जुटे अफसर
दिव्यांगों से रुपए लेने का मामला आया सामने
पीलीभीत। मुख्यमंत्री आवास देने के नाम पर हजारों रुपए लिए जाने के मामले में खंड विकास अधिकारी को जांच टीम द्वारा रिपोर्ट न सौंपे जाने पर परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य विकास अभिकरण और खंड विकास अधिकारी ने सख्त रुख अपना लिया है।
मामले में बीडीओ ने जांच टीम को अनुस्मरण पत्र जारी कर जांच आख्या तलब की है। वही सचिव ने गांव पहुंचकर लिए गए रुपए वापस करने का पीड़ितों को आश्वासन दिया है। फिल हाल रुपए लेनदेन की बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से सरकार की किरकिरी जरूर हो रही हैगौरतलब है मामला जनपद पीलीभीत के बिलसंडा ब्लॉक का है। जहां मुख्य मंत्री आवास दिए जाने के नाम पर सचिव और उनके प्राइवेट व्यक्ति पर रुपए लेने का दिव्यांगों ने आरोप लगाया है। रुपए लेन देन की बातचीत करने का जिसका वीडियो 21 नवंबर को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसका खंड विकास अधिकारी अमित शुक्ला ने संज्ञान लेकर अधिकारियों की तीन सदस्य टीम बनाकर जांच बैठा दी और तीन दिन में मामले की रिपोर्ट तलब की थी 10 दिन से अधिक बीत जाने के बावजूद टीम ने जांच रिपोर्ट बीडीओ को नहीं सौंपी जिसके चलते पीलीभीत के परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य विकास अभिकरण शैलेंन व्यास ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। पत्र का निर्धारित समय में जवाब न दिए जाने पर लगाए गए आरोपों को सही मानने और बिना स्मृति पत्र जारी किए सचिव के खिलाफ अनु शासनात्मक कार्यवाही किए जाने की बात कही है। वहीं विभाग की किरकिरी होते देख बीडीओ ने सख्त रुख अपना लिया और जांच टीम को अनुस्मरण पत्र जारी कर मामले की रिपोर्ट तलब की है। वहीं मामले में पीड़ित दिव्यांग और उनके परिजनों का कहना है सचिव गांव आए जिन्होंने दिए गए रुपए वापस कर आवास देने का भरोसा दिलाया है।-हम आपको बताते है कैसे शुरू हुई एक रुपए की रिश्वत से हजारों की घूसखोरी। दरअसल ग्राम पंचायत के प्राइवेट असिस्टेंट की माने तो उसका कहना है उसने कई ग्राम पंचायतों के लाभार्थियों से 10 हजार से लेकर 5 हजार रुपए तक की वसूली कर सचिव को दिए है। वहीं पहले तो सचिव के खाते में एक रुपए भेज कर खाता को चेक किया जिसके बाद आवास देने के नाम पर दिव्यांगों से वसूली गई हजारों की घूसखोरी की रकम खाते में भेजी गई। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन भेजे जाने के स्क्रीनशॉट भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। अब देखने की बात होगी जांच की आंच किस किस तक आती है और रिश्वत कांड में शामिल लोगों पर कब करवाई होगी।

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