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समस्याओं का नहीं हुआ समाधान, प्रधान संगठन ने याद दिलाने के लिए सीएम को भेजा पत्र

समस्याओं का नहीं हुआ समाधान, प्रधान संगठन ने याद दिलाने के लिए सीएम को भेजा पत्र
प्रत्येक माह ग्राम पंचायतों में डीएम और एसपी की मौजूदगी में लगे समाधान दिवस
पीलीभीत। अखिल भारतीय प्रधान संगठन द्वारा रमाबाई अम्बेडकर मैदान लखनऊ में 28 अक्टूबर 2021 को 40 हजार से अधिक प्रधानों ने महारैली के माध्यम से अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखा था। जिसके क्रम में 15 दिसम्बर 2021 को प्रदेश भर के प्रधानों को लखनऊ बुलाकर मुख्यमंत्री द्वारा विभिन्न घोषणाएं की गई थी। इनमें से निम्नलिखित समस्याओं का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। 1. सहायक सचिव कम डाटा एन्ट्री ऑपरेटर, शौचालय केयर टोकर एवं ग्राम प्रधान के मानदेय की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा अलग से करना। 2. जिले के प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों की सहभागिता में पंचायतों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए जनपद स्तर पर माह में एक बार जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में पंचायत दिवस का आयोजन करना। 3. प्रधानों व सभी त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकरण से पूर्व उपनिदेशक पंचायती राज से अनुगति का प्राविधान तथा बिना शपथ पत्र के जाँच न कराई जाए व शिकायत झूठी मिलने पर शिकायतकर्ता के विरुद्ध भी कानूनी कार्यवाही अनिवार्य किया जाना। 4.जिला योजना समिति में ग्राम प्रधानों को प्रतिनिधित्व दिया जाना। राज्य वित्त व केन्द्रीय वित्त आयोग से हो रहे भुगतान की तरह ही मनरेगा योजना की मजदूरी व मैटेरियल का भुगतान ग्राम प्रधान व सचिव के डिजिटल सिग्नेचर से करने हेतु पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के दो विकास खण्डों मोहनलालगंज ( लखनऊ ) एवं अहिरोरी (हरदोई) में इसे लागू किया गया था। तथा प्रदेश के शेष सभी विकास खण्डों में 03 माह के बाद लागू करने का वादा किया गया था जो अभी तक लागू नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित माँगों पर भी सहानुभूति पूर्वक विचार कर प्रदेश में लागू किया जाना जनहित में अत्यन्त आवश्यक है। 1. वर्ष 1993 में पारित 73वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत 29 विषय व उनसे जुड़े अधिकार, कोष, कार्य और पंचायत कर्मियों को पंचायतों को सौंपकर सत्ता विकेन्द्रीकरण की आदर्श व्यवस्था लागू की जाए ।
2. राज्य वित्त आयोग व प्रशासनिक सुधार आयोग की समस्त प्रमुख सिफारिशों को उत्तर प्रदेश में लागू किया जाए ।
3. ग्राम प्रधानों का मानदेय बढ़ाकर कम से कम 25,000/- मासिक किया जाए। चूंकि ग्राम प्रधानों को ग्राम पंचायत के कार्यो को कराने हेतु सदैव व्यस्त रहना होता है, भाग-दौड़ भी करनी पड़ती है जिसका कोई यात्रा भत्ता नहीं दिया जाता, एक ग्राम प्रधान अवकाश के दिनों में भी कार्य करता है ।
4. ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, जिला पंचायत सदस्यों की सुरक्षा हेतु उनको शस्त्र लाइसेन्स जारी करने में प्राथमिकता दी जाए 5. ग्राम पंचायतों में प्रयुक्त होने वाली समस्त निर्माण सामग्री ( ईट, मोरंग, सफेद बालू, बजरी, मिट्टी, सीमेन्ट, सरिया, पेवर ब्लॉक आदि) का प्राक्कलन मूल्य बाजार मूल्य से अत्यधिक कम हैं, अत: इसे बाजार दर के अनुरूप पुनरीक्षित किया जाए ।
उपरोक्त निर्माण सामग्री के मूल्य का निर्धारण लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है जबकि उपरोक्त में से कई प्रकार की सामग्री का प्रयोग स्वयं लोक निर्माण विभाग द्वारा नहीं किया जाता है । अत: उपरोक्त सभी सामग्री का मूल्य निर्धारण किसी अन्य एजेन्सी से कराया जाए व हर वर्ष बाजार दर के अनुसार उसे बढ़ाया जाए ।
6. अन्तिम उपभोक्ता अर्थात् भारत की जनता द्वारा प्रदत्त आयकर से सरकारों का कार्य एवं विकास कार्य होता है । जनसंख्या का 70% भाग गाँव में निवास करता है, अत: गाँव के विकास के लिए सरकार को प्राप्त राजस्व का 20% ग्राम पंचायतों को उपलब्ध
कराया जाए। मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया गया है।

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